जानिए भाद्रपद की अष्टमी को मनाई जाने वाली राधा अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
राधा अष्टमी – जब–जब श्री कृष्ण का नाम लिया जाता है, तब तब राधा का नाम अपने आप ही लिया जाता है| ये दो नाम एक साथ हमेशा के लिए साथ जुड़ गए हैं| कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद ही राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है| भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जा रही है| इस साल राधा अष्टमी 14 सिंतबर, मंगलवार को मनाई जाएगी| ऐसा माना जाता है कि राधा रानी के बिना श्री कृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है| इसलिए जब–जब भगवान श्री कृष्ण का नाम लिया जाता है, तब तब राधा रानी का नाम साथ में लिया जाता है| कृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी भी मथुरा, वृंदावन और बरसाने में बड़ी धूम–धाम से मनाई जाती है|

शास्त्रों के अनुसार राधा अष्टमी का व्रत किए बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का कोई फल प्राप्त नहीं होता। राधा जी को साक्षात मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, ऐसे में इस दिन कुछ खास उपाय और मंत्रो का जाप करने से राधा रानी की कृपा अपने भक्तों पर सदैव बनी रहती है।
Radha Ashtami ke Mantra, Radha Ashtami Puja, राधाष्टमी के मंत्र
राधाष्टमी के दिन इस मंत्र का जप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। ऐसे में आप भी इस दिन राधारानी के इन मंत्रों का जाप करें।
Radha ashtami ashtakshari mantra, राधाष्टमी के सप्ताक्षर मंत्र
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस मंत्र का सवा लाख बार जप करने से धन संबंधी सभी परेशानियां दूर होती हैं।
ओम ह्रीं राधिकायै नम:।
ओम ह्रीं श्रीराधायै स्वाहा।
अष्टाक्षरी मंत्र
यह मंत्र राधा रानी का अष्टाक्षरी मंत्र है। शास्त्रों के अनुसार राधाष्टमी की पूजा राधा रानी के इस आठ अक्षरों के मंत्र के साथ शुरु करें। तथा इस मंत्र का जाप करने के बाद खीर से हवन करें। ऐसा करने सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।
ओम ह्रीं श्री राधिकायै नम:।
कृष्ण अष्टाक्षरीमंत्र
मंत्रैर्बहुभिर्विन्श्वर्फलैरायाससाधयैर्मखै: किंचिल्लेपविधानमात्रविफलै: संसारदु:खावहै। एक: सन्तपि सर्वमंत्रफलदो लोपादिदोषोंझित:, श्रीकृष्ण शरणं ममेति परमो मन्त्रोड्यमष्टाक्षर।।

Radha Ashtami ke Upay, Radha Ashtami ke totke, राधा अष्टमी के उपाय
व्यापार में वृद्धि के लिए
व्यापार में वृद्धि या नौकरी में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए इस दिन राधा रानी की पूजा करने के बाद एक चांदी का सिक्का लें और ओम राधा कृष्णाय नम: मंत्र का 108 बार जप करें। तथा पूजा पूर्ण होने के बाद ये सिक्का किसी लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी यानि जहां पर भी आप पैसे, रूपये और सोना चांदी रखते हैं वहां रख दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
मान सम्मान में वृद्धि के लिए
शास्त्रों के अनुसार इस दिन राधा रानी की पूजा करते समय अष्टमुखी दीपक का इस्तेमाल करें। यदि आपके पास अष्टमुखी दीपक ना हो तो एक ही दीपक में आठ बातियां प्रज्जवलित करें। कहा जाता है कि इस दिन अष्टमुखी दीपक में इत्र डालकर प्रज्जवलित करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है औस सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। तथा मां लक्ष्मी का स्थिर वास आपके घर में रहता है।
प्रेम संबंधो के लिए
राधा अष्टमी के दिन पूजा करते समय भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की प्रतिमा के सामने कपूर रखें, पूजा के बाद इस कपूर को एक मिट्टी के दिए में रखकर बेडरूम में जलाएं और इसका धूप दिखाएं। इससे बेडरूम से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का वास होता है। पति पत्नी में प्रेम बढ़ता है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार राधा कृष्ण को इत्र अर्पित करने पति पत्नी के प्रेम संबंधो में मधुरता आती है। ध्यान रहे इस इत्र का इस्तेमाल आप स्वयं करें।
मनचाहा जीवन साथी पाने के लिए
मनचाहा जीवन साथी पाने के लिए इस दिन भगवान श्री कृष्ण को हल्दी और चंदन का तिलकर लगाएं और कुमकुम का तिलक राधा रानी को अर्पित करें। साथ ही यदि आपको अपने प्रेम में सफलता पाना है तो यह अचूक उपाय करें।
बाजार से भोजपत्र लेकर आएं और उस भोजपत्र पर अपने प्रेमी या प्रेमिका का नाम सफेद चंदन से लिखें और राधा कृष्ण के चरणों में उसे अर्पित करके प्रार्थना करें। ऐसा करने से आपको मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त (Radha ashtami shubh muhurat)
राधा जन्माष्टमी 2022-
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 03 सितंबर 2022 दोपहर 12:25 बजे
अष्टमी तिथि समापन: 04 सितंबर दोपहर 10:40 बजे
राधा अष्टमी का महत्व (Radha ashtami ka mahatva)
- देवी राधा जी की जयंती को हम सब राधा अष्टमी के रूप में मनाते हैं|
- यह एक अत्यंत ही शुभ और महत्वपूर्ण उत्सव है|
- राधा जी को कृष्ण की शक्ति माना जाता है|
- राधा नाम स्मरण मात्र से ही मनुष्य का उद्धार हो जाता है|
- आप सबको बता दें की राधा अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है|
- दाम्पत्य जीवन में प्रेम और मधुरता के लिए राधा जी की स्तुति करें|
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी (janmashtami) की तरह ही राधा अष्टमी (radha ashtami) का भी विशेष महत्व है| कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है| विवाहित महिलाएं राधा अष्टमी के दिन अखंड सौभाग्य, सुख–समृद्दि और शांति के लिए राधा रानी का व्रत रखती हैं| इतना ही नहीं, संतान की प्राप्ति के लिए भी राधा अष्टमी का व्रत रखा जाता है| धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनके श्री कृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं| इसलिए कहा जाता है कि श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए राधा जी को प्रसन्न करना चाहिए| इस दिन व्रत करने से घर में लक्ष्मी आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं|ऐसा मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से घर में कभी धन की कमी नहीं रहती और घर में सौभाग्य आता है|
राधा अष्टमी कब मनाई जाती है?
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है|
राधा अष्टमी का त्यौहार किस उपलक्ष्य में मनाया जाता है?
देवी राधा जी का जन्म भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को हुआ था| इस कारण से प्रत्येक वर्ष राधा जी की जयंती को हम सब राधा अष्टमी के रूप में मनातें हैं|

मंदिर का इतिहास, संरचना और खास बातें
– मान्यता है कि राधा रानी मंदिर मूल रूप से लगभग 5000 साल पहले राजा वज्रनाभ ( श्रीकृष्ण के वशंज) द्वारा स्थापित किया गया था। बाद में ये मंदिर खंडहर में बदल गया था। तब प्रतीक नारायण भट्ट द्वारा फिर से इसे खोजा गया और 1675 ईस्वी में राजा वीर सिंह द्वारा एक मंदिर बनाया गया था।
– बाद में, मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण नारायण भट्ट ने राजा टोडरमल की मदद से किया था। मंदिर के निर्माण के लिए लाल और सफेद पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो राधा और श्री कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। राधा रानी के पिता का नाम वृषभानु और माता का नाम कीर्ति था।
– राधा रानी का जन्म जन्माष्टमी (Radha Ashtami 2022) के 15 दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए बरसाना के लोगों के लिए यह जगह और दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन राधा रानी के मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। राधा रानी को छप्पन प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं।
– इस मंदिर में 200 से अधिक सीढ़ियां हैं जो जमीन से मुख्य मंदिर की ओर जाती हैं। इस मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के तल पर वृषभानु महाराज का महल है, जहां वृषभानु महाराज, कीर्तिदा (राधा की माँ), श्रीदामा (राधा की सहोदर) और श्री राधिका की मूर्तियां हैं। इस महल के पास ही ब्रह्मा जी का मंदिर भी स्थित है।
– इसके अलावा, पास में ही अष्टसखी मंदिर है जहां राधा और उनकी प्रमुख सखियों की पूजा की जाती है। चूंकि मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है इसलिए मंदिर के परिसर से पूरे बरसाना को देखा जा सकता है।