हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है और इसे कैसे मनाया जाता है?
हनुमान जयंती – पर्व हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक ऐसा पावन पर्व है की जिसे पुरे भारत देश में इसे धूम धाम से और बहुत आस्था के साथ मनाया जाता है। सभी देवताओं में हनुमान जी एक ऐसे देवता है जो इस पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। कहा जाता है कि वो सतयुग में भी थे ,रामायण काल, महाभारत काल में भी थे और वो कलियुग में भी जीवित हैं। कोई उन्हें पवनसुत, कोई मंगलमूर्ति तो कोई संकटमोचन कहकर पुकारता है। उनके नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं। हनुमानजी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो हर युग में किसी न किसी रूप गुणों के साथ संसार के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहेंगे। भगवन में किसी भी संकट को हर लेने की क्षमता है और अपने भक्तों की यह सदैव रक्षा करते हैं।
हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं – Hanuman Jayanti Kyu Manaya Jata Hai
हनुमान जयंती को भगवान हनुमान के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने के दौरान पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) में मनाया जाता है। इस दिन लोग हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए जाते है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते और भंडारें इत्यादि कराते हैं। इस दिन हनुमानजी की मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाने की खास परम्परा है। आपको बता दें कि हनुमान जी का जन्मदिन एक सौर वर्ष में दो बार मनाया जाता है। जी हां, कर्क राशि से दक्षिण के वासी इनका जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को मानते हैं, जबकि कर्क राशि से उत्तर के वासी हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मानते हैं।
हनुमान जयंती के दिन मंदिरों व घरों में विशेष सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ व भजन कीर्तन होते हैं। वहीं अगर आप इस दिन कुछ उपाय करते हैं तो आपके जीवन के सभी कष्टों का नाश हो जाता हैं और जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हनुमान जी के जन्म की कथा
हनुमान जी के जन्म (hanuman story in hindi) के बारे में एक कथा है, जिसके अनुसार एक बार राजा दशरथ और उनकी तीनों पत्नियों ने अग्नि देव का यज्ञ किया था। तब अग्नि देव ने उनसे प्रसन्न होकर राजा दशरथ को खीर दी थी। राजा दशरथ ने वह खीर अपनी तीनों पत्नियों में बराबर बांट दी। लेकिन एक चील उस खीर को झपट कर अपने मुंह में ले गई और उड़ गई।
जब वह चील अंजना के आश्रम के ऊपर से उड़ रही थी तब अंजना का मुंह ऊपर की और था। अंजना का मुंह खुला होने के कारण कुछ खीर उनके मुंह में आ गिरी और वह उस खीर को खा गई। जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई और उनके गर्भ से शिवजी के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी ने चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था इसलिए हनुमान जंयती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन बजरंग बली के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार उन्हें सिंदूर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा, चंदन, फूलों में कनेर आदि के पीलोए फूल, धूप, अगरबती, गाय के शुद्ध घी का दीपक, आटे को घी में सेंककर गुड मिलाये हुए, लड्डू जिन्हें कसार के लड्ड आदि का भोग लगाते हैं।
सूर्य को समझ लिया लाल फल
एक बार भगवान हनुमान जी जब मात्र छः मास के थे। तभी उन्हे बहुत ज़ोर की भूख लगी। हनुमान की माता अंजना फल लाने गई तभी हनुमान जी ने बाहर जाकर देखा तो उन्हे सूर्य दिखाई दिया हनुमान जी ने इस लाल फल मानकर आकाश मे गई तथा सूर्य को मुंह मे डाल दिया था।
हनुमान जी के अलग अलग नाम
भगवन हनुमान जी को बहुत से नामों से जाना जाता है जिसमें से मुख्य नाम हैं
अंजनिपुत्र
महाबली
रामेष्ट
बजरंगबली
हनुमान जयंती का महत्व – Hanuman Jayanti ka Mahatva
हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। जिन्हें भगवान शिव के अवतारों में से एक माना जाता है। भक्तों के लिए हनुमान जयंती का दिन बेहद खास होता है। उनके लिए हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti ka Mahatva) बहुत बड़ा है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हनुमान जयंती के दिन इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। हर साल हनुमान जयंती का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। हनुमान जयंती के दिन, लोग जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और भगवान हनुमान की पूजा करते हैं।
मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन भगवान हनुमान की सच्चे मन से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। हनुमान जी की पूजा लाल सिंदूर से की जाए तो हर बिगड़ा काम बन जाता है। दरअसल, रामायण के अनुसार हनुमान जी (hanuman story in hindi) ने सीता जी के मांग में सिंदूर लगा देखकर पूछा- माता! आपने यह लाल द्रव्य माथे पर क्यों लगाया है? सीता जी ने बताया कि इसके लगाने से मेरे स्वामी की आयु लंबी होती है? ये सुनकर हनुमान जी ने सोचा जब उंगली भर सिंदूर लगाने से आयु लंबी होती है तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे पोतकर अपने स्वामी को अजर-अमर कर दूं। हनुमान जी ने वैसा ही किया। कहते हैं उस दिन से हनुमान जी को स्वामी-भक्ति के स्मरण में उनके शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
हनुमान पूजन के लिए सामग्री –
नारियल, केले, सरसों का तेल, चमेली, गुड़, लाल कपड़ा, पंचामृत, गंगाजल, सिंदूर, इत्र, भुने चने, पान की बीड़ा, जल कलश, घी, दीपक, धूप, कपूर, तुलसी, फूल आदि।
पूजन विधि –
हनुमान जयंती पर हाथ में गंगाजल लेकर भगवान राम, सीता जी और हनुमान का ध्यान करते हुए संकल्प लें। उसके बाद पूजा स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद हनुमान जी की एक प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। पूजा के स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करके शुद्ध जल, दूध, दही, घी, मधु और चीनी का पंचामृत, तिल के तेल में मिला सिंदूर, लाल पुष्प, जनेऊ, सुपारी, नैवेद्य, नारियल का गोला चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक जलाकर उनकी पूजा करें।
इस दिन भगवान हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर अवश्य अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, हलुवा, पंच मेवा, पान, केसर-भात, इमरती या इनमें से जो भी हो, उसका भोग लगाएं। इससे हनुमान जी प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए या मंगल ग्रह का दोष दूर करने के लिए बहुत से लोग हर मंगलवार व्रत करते हैं। इससे हनुमान जी की असीम कृपा मिलती है। हनुमान जयंती के दिन भी बहुत से लोग व्रत रखते हैं।
हम कितने भी डरे हुए क्यो न हो हमे हनुमान जी के भजन तथा हनुमान चालीसा का झप करने से हमारे सारे दुख दूर हो जाते है। हनुमान श्री राम के बहुत बड़े भक्त एव सेवक थे। वे श्री राम की रामलीला सुनने दौड़ आते थे। उनके बिना रामलीला अधूरी मानी जाती थी।
तो मेरे दोस्तो आपको कभी भी डर लगे या कोई समस्या आपके सामने हो तो आप इस मंत्र को बार-बार पढे जिससे आपकी हर समस्या का समाधान हो जाएगा।
“जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।”
इस साल अथार्थ 2022 में हनुमान जयंती चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानि की तिथि 16 अप्रैल 2022 को पड़ रही है।
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