भारत की “स्वर कोकिला” लता मंगेशकर का जीवन परिचय
लता मंगेशकर भारत रत्न पुरस्कार लता मंगेशकर भारत की सबसे मान्यता प्राप्त और प्रशंसित गायिका थी, जिनका छह दशक का करियर उपलब्धियों से भरा था। छह दशकों से अधिक समय से उनकी आवाज ने संगीत को दुनिया के सामने पेश किया है। भारत की “स्वर कोकिला” लता मंगेशकर ने 25 भाषाओं में 50,000 से अधिक गाने गाए हैं। उनकी आवाज सुनकर कुछ लोगों की आंखों में आंसू आ गए और बार-बार सीमा पर तैनात जवानों का हौसला बढ़ा। गायन के लिए अपना जीवन समर्पित करने के बाद, लता जी अविवाहित थी। हालाँकि, वह भारतीय फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में अपने काम के लिए जानी जाती थी। लता जी ने अपनी बहन आशा भोंसले के साथ फिल्म गायन में सबसे अधिक योगदान दिया था।
लता मंगेशकर जीवन परिचय | |
वास्तविक नाम (Real Name) | लता मंगेशकर |
बचपन का नाम | हेमा |
उपनाम (Nick Name) | बॉलीवुड की नाइटिंगेल |
व्यवसाय | भारतीय पार्श्व गायिका |
लता मंगेशकर व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि (lata mangeshkar ka janm kab hua tha) | 28 सितंबर 1929 |
आयु | 92 वर्ष |
लता मंगेशकर मृत्यु (lata mangeshkar ka dehant) | 06 फरवरी 2022 (रविवार) |
लता मंगेशकर के पिता का नाम (lata mangeshkar ke pita ka naam) | दीनानाथ मंगेशकर |
जन्मस्थान (Birth Place) | इंदौर राज्य, मध्य भारत, ब्रिटिश भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मुंबई, भारत |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
लता मंगेशकर परिवार, जीवन, जन्म (Lata Mangeshkar Biography in Hindi)
लता मंगेशकर का जीवन परिचय (lata mangeshkar ka jivan parichay): दीदी का जन्म 28 सितंबर, 1929 (Lata mangeshkar date of birth) को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। श्री दीनानाथ मंगेशकर, उनके पिता, एक मराठी संगीतकार, शास्त्रीय गायक और मंच अभिनेता थे। उनकी माता का नाम शेवंती देवी था। जिसकी गुजराती जड़ें हैं। शेवंती देवी दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी पत्नी थीं। नर्मदा देवी उनकी पहली पत्नी थीं, और उनकी मृत्यु के बाद, उन्होंने नर्मदा देवी की छोटी बहन सेवंती देवी से शादी की।
लता मंगेशकर के अलावा उनकी तीन बहनें और एक भाई है। मीना मंगेशकर खादीकर, आशा भोंसले, और उषा मंगेशकर उनके नाम हैं, और हृदय नाथ मंगेशकर उनके भाई हैं। लता मंगेशकर अपने पिता (lata mangeshkar parivar) की सबसे बड़ी संतान थीं। लता जी के जन्म के समय उनका नाम हेमा था, लेकिन पंडित दीनानाथ जी ने अपने नाटक “भवबंधन” में लतिका नाम की एक महिला पात्र के नाम पर उनका नाम लता रख दिया।
करियर की शुरुआत
1942 में जब पंडित दीनानाथ की अचानक मृत्यु हो गई, तब लता मंगेशकरी केवल 13 वर्ष की थीं और उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभाला था। Lata mangeshkar ji एक ऐसे करियर की तलाश में थीं जो उन्हें अपने घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने की अनुमति दे। इस प्रोजेक्ट के लिए लता जी हिंदी और मराठी फिल्मों में दिखाई दीं। दूसरी ओर, वह अभिनय से घृणा करते थे। लता जी ने अपने अभिनय की शुरुआत फिल्म “पहिली मंगलागोर” से की, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। लता जी ने मझे बल, चिमुकला संसार, गजभाऊ, बड़ी मां मांड और छत्रपति शिवाजी जैसी फिल्मों में भी काम किया।
1949 में लता मंगेशकर का पहला गाना “आएगा आने वाला” गाए जाने के बाद, अनुयायियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ने लगी। इस बीच, लता जी ने युग के सभी सबसे प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ सहयोग किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, आर.डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र, और अन्य सहित सभी संगीतकारों ने लता जी की प्रतिभा को लोहा माना। लता जी ने दो आंखें बारह हाथ, दो बीघा जमीन, भारत माता, मुगल-ए-आजम और कई अन्य आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है।
“महल,” “बरसात,” “एक थी लड़की,” “बड़ी बहन,” और अन्य जैसी फिल्मों में अपनी आवाज के जादू के साथ, लता जी ने इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान (Lata ke gane) लता के गाने: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि।
संघर्ष
सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी Lata ji को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ़ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा। लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था।
लता जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- 1974 में, उन्हें सबसे अधिक गाने लिखने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था।
- लता दीदी महज एक दिन के लिए स्कूल गई थी। इसकी वजह यह रही कि जब वह पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा भोसले को स्कूल लेकर गई तो अध्यापक ने आशा भोसले को यह कहकर स्कूल से निकाल दिया कि उन्हें भी स्कूल की फीस देनी होगी। बाद में लता ने निश्चय किया कि वह कभी स्कूल नहीं जाएंगी। हालांकि बाद में उन्हें न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छह विश्वविद्यालयों में मानक उपाधि से नवाजा गया।
- वह भारतीय सिनेमा उद्योग में भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार पाने वाली पहली महिला हैं। यह सम्मान सिर्फ सत्यजीत रे और उन्हें ही मिला है। उन्हें 1974 में लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय गायिका बनने का सम्मान मिला।
- लता ने मोहम्मद रफी के साथ सैकड़ों गाने गाए थे, लेकिन एक वक्त उन्होंने उनसे बात करना बंद कर दिया था। लता ने गानों पर रॉयल्टी पसंद की, जबकि मोहम्मद रफ़ी ने कभी नहीं किया। दोनों के बीच झगड़ा इतना गर्म हो गया कि मोहम्मद रफी और लता की बात थम गई और दोनों ने साथ में गाना गाने से मना कर दिया। हालांकि, अभिनेत्री नरगिस के प्रयासों की बदौलत, दोनों ने चार साल बाद एक कार्यक्रम में ‘दिल पुकारे’ गाना गाया।
- लता जी Kokila bahan को गाने के अलावा कुकिंग और फोटो शूट करने में बहुत मजा आता था।
- वर्ष 1962 में लता 32 साल की थी तब उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया था। लता की बेहद करीबी पदमा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘Aisa Kahan Se Lauen’में किया है।हालांकि उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया।
संगीतकार के रूप में करियर | |
डेब्यू | पार्श्व गायिका (फिल्म)– ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ (‘गजाभाऊ मराठी, 1943) |
संगीत शिक्षक | दीनानाथ मंगेशकर (पिता) उस्ताद अमानत अली खान गुलाम हैदर अमानत खान देवस्वाले पंडित तुलसीदास शर्मा |
पार्श्वगायिका के रूप में लता मंगेशकर की पहचान
पार्श्वगायिका के रूप में लता जी को पहचान दिलाने वाले इनके गुरू उस्ताद गुलाम हैदर थे। गुलाम हैदर जी ने इनको संगीत के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान दिलाई क्योंकि लोगों का यह मानना था कि लता जी की आवाज बहुत पतली है और यह पार्श्वगायिका बनने के लायक नहीं है तब लता जी के गुरू गुलाम हैदर ने यह बात साबित करने का बीड़ा उठाया कि भविष्य में लता जी एक सफल और प्रसिद्ध पार्श्वगायिका बनेंगी और यह बात सिद्ध हो गयी।
उस्ताद गुलाम हैदर ने कई निर्माता-निर्देशको से लता जी की मुलाकात करवाई लेकिन इसके बावजूद सफलता उनके हाथ नहीं लग पाई। तभी 1948 में गुलाम हैदर साहब ने एक फिल्म “मजबूर“ में एक गाना गवाया जो कि “दिल मेरा तोड़ा“ था। यह गाना लता जी की जिन्दगी का पहला हिट गाना था और इस प्रकार गुलाम हैदर साहब जी लता जी के गॉड फादर माने गये। इसके बाद 1949 फिल्म “महल“ में एक गाना “आयेगा आने वाला“ गाया जो कि सुपर डुपर हिट हुआ। इस गाने के बाद लता जी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर सुना जाता है।
लता मंगेशकर पुरस्कार
लता जी ने अपनी जिन्दगी में कई सारे पुरस्कारों को जीता और साथ ही कई सम्मान भी प्राप्त हुए। 1970 के फिल्मफेअर अवार्ड शो में लता जी ने यह कह दिया था कि वह सर्वश्रेश्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी। मेरी जगह नये गायकों को यह पुरस्कार दिया जाना चाहिए। आओ अब जाने लता जी कब और कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान मिलें। सबसे पहले हम भारत सरकार द्वारा दिए गए अवार्ड्स के बारे में जानेंगे।
भारत सरकार पुरस्कार
- 1969 में, भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया।
- 1989 में, दूसरी बार भारत सरकार ने दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
- 1999 में, लता जी को पद्म विभूषण से सम्मानित।
- 2001 में, भारत रत्न से सम्मानित (भारत देश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान) ।
- 2008 में, भारत की आजादी के 60वीं वर्षगांठ की स्मृति के रूप में “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” से लता जी को सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- 1972 में, फ़िल्म परिचय के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका अवार्ड।
- 1974 में, फ़िल्म “कोरा कागाज़” में गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका अवार्ड।
- 1990 में, फ़िल्म लेकिन के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार मिला।
फिल्मफेयर पुरस्कार
- 1959 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका अवार्ड- गीत “आजा रे परदेसी” (मधुमती) के लिए।
- 1963 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार, यह अवार्ड गीत “कहीं दीप जले कहीं दिल” (बीस साल बाद) के लिए मिला था।
- 1966 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका गीत “तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा” (ख़ानदान) के लिए।
- 1970 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका गीत “आप मुझे अच्छे लगने लगे” (जीने की राह) के लिए।
- 1994 में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- 1995 में, फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार गीत “दीदी तेरा देवर दिवाना” (फिल्म: हम आपके हैं कौन) के लिए सम्मानित किया गया।
महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार
- 1966 में, सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका अवार्ड, फिल्म “साधी माणसं” के लिए दिया गया।
- 1977 में, सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार, फिल्म “जैत रे जैत” के लिए मिला।
- 1997 में, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित।
- 2001 में, महाराष्ट्र रत्न (प्रथम प्राप्तकर्ता) से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा भी लता जी को अन्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लता मंगेशकर द्वारा गाया देश भक्ति और प्रेम से जुड़े गाने का किस्सा
लता जी Lataji ने हमेशा अपनी शर्तों पर ही गीतों को गाया। उनका मानना था कि रिकार्डिंग की पेमेण्ट के बाद भी जब तक वह रिकार्ड बिक रहा है। उसकी कमाई का एक छोटा सा हिस्सा गायक को भी आना चाहिए। जबकि हर प्रोड्यूसर इसके खिलाफ थे।
जिस समय देश का मनोबल नीचे था तब देश को एक ऐसे ही जज्बे की तलाश थी जो कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से रण को एक कर सके और साथ ही आसमान में तिरंगे को लहराता देख कर गर्व महसूस कर सके। ऐसे में राष्ट्र कवि प्रदीप जी ने ये शब्द “ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी, जो शहीद हुए है उनकी, जरा याद करो कुर्बानी” इन शब्दों को लता जी ने अपनी आवाज दी थी जिससे यह गाना सदा सदा के लिए अमर हो गया। इस गीत को लता ने पहली बार 27 जनवरी, 1963 को दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में गाया था।
FAQ
प्रश्न: लता मंगेशकर नेटवर्थ/ कुल सम्पति कितनी हैं?
उत्तर: एक रिपोर्ट के मुताबिक लता मंगेशकर की नेटवर्थ (लगभग) 50 मिलियन डॉलर है। इसको यदि भारतीय रुपयों में देखा जाये तो इनकी कीमत लगभग 368 करोड़ रुपये होती हैं।
प्रश्न: लता मंगेशकर की शादी हुई थी कि नहीं?
उत्तर: लता जी पर छोटी आयु में जिम्मेदारियां आने के कारण दुनियादारी में इतनी उलझ गयी कि उन्होनें कभी शादी के बारें में नहीं सोचा। इस वजह से इन्होंने शादी नहीं की।
प्रश्न: लता मंगेशकर ने आखिरी गाना किस फिल्म में और कब गाया?
उत्तर: लता मंगेशकर ने आखिरी बार गाना वीर ज़ारा फिल्म वर्ष 2004 में गाया था। इसके बाद इन्होंने गाने से सन्यास ले लिया था।
प्रश्न: लता मंगेशकर को किस उपनाम से पुकारा जाता था?
उत्तर: लता जी को “स्वर कोकिला” नाम से पुकारा जाता था।